क्या L&T एलएंडटी के चेयरमैन अपना दिमाग खो बैठे हैं, जो अपने कर्मचारी से सप्ताह में 90 घंटे काम करवाने को तैयार हैं?

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L&T chairman under fire : सुब्रह्मण्यन को इस समय अपने उस बयान के लिए भारी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है जिसमें उन्होंने सुझाव दिया था कि कर्मचारियों को प्रति सप्ताह 90 घंटे काम करना चाहिए।


L&T Chairmen SN Subramanyan“मुझे खेद है कि मैं आपको रविवार को काम पर नहीं लगा पा रहा हूँ, सच कहूं तो। अगर मैं आपको रविवार को काम करने के लिए प्रेरित कर पाता, तो मुझे अधिक खुशी होती, क्योंकि मैं भी रविवार को काम करता हूँ। आप घर पर बैठकर क्या करते हैं? आप अपनी पत्नी को कितनी देर तक देख सकते हैं? पत्नियाँ अपने पतियों को कितनी देर तक देख सकती हैं? ऑफिस जाइए और काम शुरू करिए।”


L&T एलएंडटी के चेयरमैन कर्मचारी से सप्ताह में 90 घंटे काम करवाने को तैयार हैं?

हाल ही में दिए गए एक बयान ने उद्योगों में व्यापक ध्यान आकर्षित किया और बहस छेड़ दी है, जिसमें L&T लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के चेयरमैन ने सुझाव दिया कि लोगों को 90 घंटे प्रति सप्ताह, यानी रविवार सहित काम करना चाहिए। इस टिप्पणी ने मिश्रित प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न की हैं—कुछ ने इसे उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में सकारात्मक कदम माना, जबकि अन्य ने कर्मचारी कल्याण और कार्य-जीवन संतुलन को लेकर चिंता जताई।


Source : News18.com

इस बयान के पीछे का संदर्भ

एL&T लएंडटी के चेयरमैन का यह बयान वैश्विक प्रतिस्पर्धा और तेज़ आर्थिक विकास की आवश्यकता की पृष्ठभूमि में दिया गया था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चाहे व्यक्तिगत स्तर पर हो, संगठनात्मक स्तर पर हो, या राष्ट्रीय स्तर पर—महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए असाधारण प्रयास और समर्पण आवश्यक हैं। उन्होंने पारंपरिक कार्य नैतिकता को चुनौती देते हुए लंबी कार्य अवधि को नवाचार और सफलता के लिए आवश्यक बताया।


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उद्योग की प्रतिक्रियाएँ

इस बयान पर विभिन्न क्षेत्रों से तीखी प्रतिक्रियाएँ आई हैं:

  1. समर्थक:
    • इस विचार के समर्थकों का मानना है कि आज की तेज़ रफ्तार और चुनौतीपूर्ण कारोबारी दुनिया में लंबे कार्य घंटे ज़रूरी हैं।
    • वे सफल उद्यमियों और नेताओं का उदाहरण देते हैं, जो अपने काम में अत्यधिक समय लगाते हैं और इसे सफलता के लिए आवश्यक मानते हैं।
  2. विरोधी:
    • आलोचकों का कहना है कि यह सुझाव व्यावहारिक नहीं है और इसके नैतिक पहलू भी विचारणीय हैं।
    • लंबे कार्य घंटे अक्सर मानसिक तनाव, उत्पादकता में गिरावट और स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े होते हैं।
    • उनका मानना है कि काम करने के स्मार्ट तरीकों, तकनीकी नवाचार और कुशल रणनीतियों पर ज़ोर देना चाहिए, न कि केवल घंटों को बढ़ाने पर।
  3. श्रम विशेषज्ञ:
    • श्रम कानून और मानव संसाधन (HR) विशेषज्ञों ने इस बयान पर चिंता व्यक्त की है।
    • कई देशों में श्रमिकों की सुरक्षा के लिए कार्य घंटे तय करने वाले कड़े श्रम कानून हैं, जो कर्मचारियों के शोषण को रोकते हैं।

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L&T 90-घंटे कार्य सप्ताह की वास्तविकता

अगर 90 घंटे प्रति सप्ताह काम करने का विचार वास्तविकता बन जाए, तो इसका मतलब होगा कि व्यक्ति को हर दिन 12 घंटे से अधिक, बिना किसी छुट्टी के काम करना होगा।

हालाँकि, यह कुछ लोगों के लिए अल्पकालिक रूप से संभव हो सकता है, लेकिन लंबे समय तक इस गति को बनाए रखना गंभीर परिणाम ला सकता है:

  • स्वास्थ्य पर प्रभाव:
    • अत्यधिक कार्यभार तनाव, हृदय रोग, और नींद से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है।
  • उत्पादकता में गिरावट:
    • शोध बताते हैं कि एक निश्चित सीमा से अधिक कार्य करने पर उत्पादकता में भारी गिरावट आती है।
  • निजी जीवन पर असर:
    • 90-घंटे कार्य सप्ताह के कारण परिवार, शौक, और व्यक्तिगत विकास के लिए बहुत कम समय बचता है, जिससे असंतोष और कार्य से दूरी बढ़ सकती है।

संतुलन बनाना

हालाँकि एलएंडटी के चेयरमैन की टिप्पणी शायद अधिक समर्पण और प्रतिबद्धता को प्रेरित करने के लिए की गई थी, लेकिन यह कार्य-जीवन संतुलन के महत्व को भी उजागर करती है।

संस्थाएँ बिना कर्मचारियों को अत्यधिक कार्यभार दिए भी उत्पादकता और वृद्धि प्राप्त कर सकती हैं, अगर वे निम्नलिखित रणनीतियाँ अपनाएँ:

  1. आउटपुट पर ध्यान दें, घंटों पर नहीं:
    • कर्मचारियों को परिणाम देने के लिए प्रेरित करें, न कि केवल लंबे समय तक कार्यस्थल पर रहने के लिए।
  2. तकनीक का अधिकतम उपयोग करें:
    • दोहराव वाले कार्यों को स्वचालित करने और उन्नत टूल्स का उपयोग करने से कार्यक्षमता बढ़ाई जा सकती है।
  3. स्वस्थ कार्य वातावरण तैयार करें:
    • कर्मचारियों को वेलनेस प्रोग्राम और लचीले कार्य विकल्पों की सुविधा देकर उनका मनोबल और उत्पादकता बनाए रखें।

निष्कर्ष

L&T एलएंडटी चेयरमैन के इस बयान ने कार्य संस्कृति, उत्पादकता और भविष्य के कार्य पर एक महत्वपूर्ण चर्चा छेड़ दी है।

  • कड़ी मेहनत और समर्पण सफलता के लिए आवश्यक हैं, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि संतुलन, स्वास्थ्य और नवाचार को नजरअंदाज किया जाए।
  • टिकाऊ विकास तभी संभव है जब कर्मचारी प्रेरित, स्वस्थ और अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए सशक्त हों।

अंततः, सफलता केवल कार्य घंटों से नहीं, बल्कि कुशलता, नवाचार और संतुलित जीवनशैली से प्राप्त होती है।

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