Maha Kumbh महाकुंभ में तरह-तरह के संत समाज के दर्शन होते हैं। काई संत ऐसे भी हैं तो आपको आश्रयचकित कर देते हैं। आपको मिलवाते हैं ऐसे ही एक संत से जिन्होंने आईआईटी मुंबई से एयरो स्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। कनाडा में सेटल हो गए थे लेकिन अंदर से आवाज ऐसी आई कि सभी माया मोह को त्याग भारत वापस आ गए और संत बन गए।
जब इनसे पूछा गया आईआईटी मुंबई से एरो स्पेस इंजीनियरिंग करी तो संन्यासी क्यों बन गए?
इनका कहना है कि यह अवस्था तो सबसे उत्तम अवस्था है ज्ञान के पीछे चलते जाओ तो यहीं पर रुक जाओगे
जन्म स्थान हरियाणा है , मैंने तो बीटेक किया है एरो स्पेस इंजीनियरिंग में आईआईटी बमबे से उसके बाद आईटी सी किया विजुअल कम्युनिकेशन में डिजाइन फोटोग्राफी मीडिया वाला , तब भी बीटेक के टाइम पर भी फिलॉसफी कोर्सेस लेता था What is life ये सारे कौन-कौन से क्या क्या बता के गए समझने की कोशिश करते
दुकान वाले ने कुछ समझाया वो गुरु बन गया दूसरे वाले ने समझाया कि बिजनेस गुरु अच्छा सब ऐसे है कोई ना कोई चीज सिखाएंगे अभी एक मैं जैसे किसी की किताब पढ़ रहा था उसने गांव का एग्जांपल दिया ऐसे कि गांव में मैंने जो काम करने वाली थी उससे क्या सीखा मैंने जो धोबी था उससे क्या सीखा तो सीखने को तो किसी से भी सीख सकते हो तुम वो तुम्हारे अंदर होना चाहिए तो मेरा तो वैसा ही है कि बस ज्ञान के ऊपर जा के और यह पूरा क्रम जो है उसको समझ के और अपना जो सिलेबस पूरा करके अपना मुक्ति या मोक्ष बोलते ,वही है ना मुक्ति और मोक्ष वही एग्जाम है ना फाइनल |
Maha Kumbh Darshan आपने आईआईटी किया सब कुछ कि घर वालों की उम्मीद होती है कि अब बेटे ने यह कर लिया अब नौकरी लगेगी बड़ा पैकेज होगा घर कुछ मदद होगी तो फिर घर वाले नाराज तो हुए होंगे जब आपने फिर ये धारण कर लिया
मैंने कुछ धारण नहीं किया मैं उनको समझाया भारत की सबसे बड़ी प्रॉब्लम यही है मैं घर में बैठ के बेसिकली वो सदगुरु का क्रिया है मैं वो करता था ध्यान में बैठ के ओम ओम क्रिया ]अब उनको लगा भाइयो तो गया ये लड़का तो हाथ से निकल गया ये तो बाबा बन जाएगा किसी गुफा में बैठा होगा मैंने बोला कि भाई मैं इस चीज को समझने की कोशिश कर रहा हूं ये है क्या तुम करके नहीं देखोगे तो समझोगे कैसे उस चीज को मतलब ये इसमें बनने या ना बनने में क्या है वो चीज को समझोगे ना आप अब आप भी करके देख सकते हो आप करके देखने से क्या ध्यान करने से बाबा बन जाओगे ऐसे थोड़ी होता है तो वेशभूषा वो ठीक है तुम संसार में रह के भी बिना संसार के रह सकते हो मतलब और वही सबसे बड़ी परीक्षा है बट वो लोगों के दिमाग में ऐसा है कि हां तुमने ऐसे कपड़े पहन लिए ये सब मैं तो कुछ भी पहन लेता हूं ये तो ज्यादा कंफर्टेबल है इसलिए जो मिला वही पहन लो ना उसमें क्या है
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कुंभ के बारे में क्या कुछ महसूस कर रहे हैं और कब आए हैं और क्या ये देखते हैं कुंभ की कितनी महत्व है और लोगों को क्या संदेश देना चाहेंगे और किस तरीके से इस वेशभूषा में आए क्या इरादा था या किससे इंस्पायर होके संत बन गए आपने कब ग्रहण किया ?
पैसे वैसे कमा के तो कोई फायदा नहीं है ज्यादा खुशी नहीं मिलेगी क्योंकि ये बिजनेस वालो पैसे बहुत खुश तो नहीं है ये उस टाइम पर बहुत क्रेज था , ऐसे की पैशन फॉलो करो तुम वो चीज जिस चीज को करना तुमको को पसंद है तो तुम खुश ज्यादा रह पाओगे तो फिर मैं ऐसे ट्रेवल फोटोग्राफी फिल्म मेकिंग डिजाइन मार्केटिंग इस सब में उसम पढ़ाई की उसमें काम किया बहुत और उससे भी मन भर गया
जैसे आपको भी समझ में आता होगा कि शुरू शुरू में ऐसे लगता है कि हां कितना मजा आएगा यहां जाएंगे वहां जाएंगे रिपोर्टिंग करेंगे थोड़ी टाइम के बाद ऐसे बोरियत सी हो जाती है यार वही चीज तो कर रहे बारबार तो फिर वो हो गई तो फिर तुमको लगा कि यार ये तो जवाब नहीं है तो ऐसे तुम जवाब ढूंढते जाओगे ढूंढते जाओगे एक पड़ाव से दूसरे पड़ाव तो आखिर जाके तुम यहीं आ जाओगे
ये थोड़ा कंट्रोवर्शियल है मैं वैसे अपने आप को ना संत मानता हूं ना साधु मानता हूं ना मतलब वैसे आप उसको वैरागी बोल सकते हो , फिर बोलने से क्या होता है ना कि वो ऐसे लोग पूछते कि तुमने दीक्षा लिया है कि नहीं है सन्यास लिया कि नहीं लिया है ये सब तुम मान लो अकेले ही मान लो ज्ञान की खोज में निकल जाओ ,बस मुझे तो समझना है जहां से भी समझने को मिलेगा वही गुरु है